तंदूर कांड 1995 : जब कोई इंसान अपना होश खो देता हैं कुछ करते वक्त सोचता नहीं है की वो क्या कर रहा हैं इंसान के सर पर राक्षस बैठ जाता है तो वो आदमी कुछ ऐसा कर जाता जो शायद भगवान को भी सोचने पर मजबूर कर दे की क्या उसी ने उस इंसान को बनाया था, आज की ये सच्ची कहानी भी कुछ ऐसी हैं जो आपको हैरान और सोचने पर मजबूर कर देगी की एक इंसान किस हद तक जा सकता हैं और सनक मे क्या-क्या कर सकता हैं तो चलिए आपको बताते हैं आज की ये खौफनाक कहानी
2 जुलाई 1995 :
तो कहानी की शुरुवात होती हैं 2 जुलाई 1995 को दिल्ली के एक इलाके की हुआ कुछ ऐसा की 2 पुलिसवाले रात के समय पेट्रोलिंग कर रहे थे उसी दौरान उनकी नजर पड़ती हैं एक रेस्टोरेंट पर वजह होती हैं वहाँ से निकलता हुआ धुआँ जब दोनों पुलिस वाले धुआँ देखकर रेस्टोरेंट के करीब आते हैं तो वहाँ ताला लगा होता हैं।
जब गार्ड से पूछते हैं तो वो ये कहता की अंदर साहब लोग हैं कुछ रेस्टोरेंट का वैस्ट है उसी को जलाया जा रहा ये सुनकर चुपचाप दोनों पुलिस वाले वहाँ से चले जाते हैं उन दोनों पुलिसवालों को कहाँ मालूम था की अंदर क्या खेल चल रहा हैं और कितनी बड़ी घटना को अंजाम दिया जा रहा था वहाँ से निकले कुछ देर ही हुई थी की पुलिसवालों को एक महिला की आवाज सुनाई देती हैं जो आग-आग कहकर चिल्ला रही थी दोनों भागकर दूबारा से वहाँ आते हैं तो देखते हैं की वो धुआँ अब आग का रूप ले चुकी हैं और रेस्टोरेंट से बाहर आ रही हैं।
ये देखकर दोनों फायर ब्रिगैड वालों को फोन करते हैं तब तक दोनों सोचते है की वही आग को बुझाए इसलिए दिवाल फांद कर अंदर घुस जाते हैं जहां तंदूर मे आग लगी हुई थी और कुछ जल रहा था दोनों वहाँ पर आग जला रहे व्यक्ति जिसका नाम सुशील शर्मा होता हैं उससे पूछते भी है की वो क्या जला रहा है तो वो पॉलिटिकल पार्टी का कनेक्शन बता के डराने धमकाने लगता हैं की यहाँ से चले जाओ ये जरूरी कागज है जिनका जलना जरूरी था इसलिए इसको रात के अंधेरे मे जलाया जा रहा हैं
लेकिन अंदर से मांस के जलने की बदबू आ रही थी जिसपे दोनों पुलिस वालों को शक हो गया दोनों ने तुरंत उस तंदूर की आग को पानी डालके बुझा दिया फिर जो उन्होंने देखा उसने सिर्फ दिल्ली ही नहीं पूरे के पूरे देश को सकते मे डाल दिया हर चैनल हर मीडिया सिर्फ उसी को लेकर चर्चा करने लगा था की ये क्या है और आखिर कोई ऐसा कैसे कर सकता है
क्या था उस जलती हुई तंदूर मे :
असल मे उन दोनों पुलिसवालों ने जब आग को बुझाया तो देखा की अंदर पेट बिल्कुल इंसान का पेट, इंटेसटाइन लटक रहा हैं और एक इंसान की जली पड़ी हड्डियाँ टुकड़ों मे पड़ी है अंदर ये देखकर दोनों पुलिसवाले पहले तो हैरान परेशान हो गए फिर दोनों ने अपने अधिकारियों को इसकी जानकारी दी और मौके पे बुला लिया फिर जो मालूम पड़ता है की ये लाश किसकी थी, सुशील शर्मा कौन है, और किस लिए मारा कैसे मारा इसका खुलासा और भी ज्यादा चौकने वाला था कैसे वो आगे बताते हैं।
मौका पाकर और पोल खुलते ही सुशील शर्मा वहाँ से भाग जाता हैं अब पुलिस इस केस पे तहकीकात करने लगती हैं उसी बीच पुलिस स्टेशन मे करीम नाम का आदमी आता हैं और वो बताता हैं की ये लाश किसी और की नहीं बल्कि जो आदमी लाश जला रहा था यानि की सुशील शर्मा उसी की बीवी नैना की हैं 9 दिन तक पुलिस सुशील को पकड़ नहीं पाती हैं बाद मे खुद सुशील सरेंडर कर देता हैं और सारी कहानी बताता है की उसने कैसे अपनी ही बीवी को मारा और क्यों मारा,
किसने किया और कैसे किया :
असल मे करीम जो की पुलिस स्टेशन मे भी आया था वो नैना का पुराना बॉयफ्रेंड था और दोनों के बीच अफेयर भी था जिसको लेकर सुशील एक दिन अपने बीवी से बहस कर रहा था और गुस्से मे गोली चला दी थी लेकिन एक मिनट आप लड़की को दोषी ठहरा दो उससे पहले ही आपको बता दूँ की कहानी मे अभी अलग ट्विस्ट है कुछ अलग इसका पहलू भी हैं।
असल मे नैना प्यार करीम से ही करती थी कॉलेज के समय से उस समय सुशील सिर्फ दोस्त था पर शादी के समय अलग-अलग धर्म होने की वजह से नैना और करीम की शादी नहीं होती हैं पर बाद मे नैना उसको छोड़के नई जिंदगी सुशील शर्मा के साथ शुरू करती हैं पर जब सुशील का असली चेहरा नैना को मालूम चलता तो वो अपने फैसले पर रोने लगती हैं
चेहरे के पीछे एक चेहरा :
असल मे सुशील दुनियाँ के सामने तो एक अच्छा नेता बना रहता रोज मंदिर जाता लेकिन असल मे वो रोज अपनी बीवी नैना को दारू पीके खूब मारता था उसका खुद का दूसरी औरत से चक्कर भी चल रहा था ये बाते जानकर नैना करीम को फोन मिलाती और मदद मांगती है उससे छुटकारा पाने का जो की करीम मदत करता भी हैं
जब ये बात सुशील को मालूम चलती तो वो गुस्से मे लाल हो जाता हैं, कई बार नैना को धमकी देता लेकिन जब नैना फैसला कर देती की वो उसके साथ नहीं रहेगी तो गुस्से मे पागल सुशील उसको गोली मार देता है उसके शरीर को काट देता हैं फिर अपने ही रेस्टोरेंट के तंदूर मे आग लगा कर अपनी बीवी को जला देता हैं
क्या मिलती है सजा :
असल मे इस घटना के बाद जब सुशील को कोर्ट मे पेश किया जाता है तो पहले तो कोर्ट उसे मृत्युदंड देता हैं लेकिन बाद मे उसके चाल-चलन मे बदलाव देखकर आजीवन कारावास मे बदल दिया जाता हैं और उसके कुछ साल बाद जेल मे रहने के बाद आखिर मे उसको जमानत भी दे दी जाती है।