Serial Killer Chandrakant Jha: इंसानों के पास बुद्धि है लेकिन कभी कुछ ऐसी घटनाएं सामने आती है जो ये साबित करती हैं की जानवर भी हमसे बेहतर है जबकि उनका दिमाग भी इतना ज्यादा नहीं होता आज हम आपके सामने एक ऐसे ही आदमी की कहानी लाए है जिसने दिल्ली मे खौफ ला दिया था पुलिस को चक्कर मे डाल दिया था,
ये कहानी है serial killers in india चंद्रकांत झा की जिसने बदले की आग मे एक के बाद लोगों को मारता गया और तिहाड़ जेल के सामने फेकता गया पुलिस को चुनौती अलग देता की “पकड़ सको तो पकड़ लो तुम्हारा बाप हूँ” आम आदमी से serial killer कैसे बन गया ये आदमी आपको बताएंगे पूरी कहानी।
कैसे हुई शुरुआत, कब किया पहला मर्डर (Serial Killer Chandrakant Jha) :
ये तो आपने भी सुना होगा की आदमी पैदा होते ही बुरा नहीं होता बल्कि ये दुनियाँ उसे बुरा बना देती हैं, बिल्कुल ऐसी ही कहानी है चंद्रकांत झा के साथ बिल्कुल हम उसका महिमा मण्डल नहीं कर रहे है लेकिन वो serial killer कैसे बना उसकी पूरी असली सच्चाई आपको बता रहे हैं ये आदमी भी पहले एक आम आदमी ही था।
अपना जीवन यापन करने के लिए कभी रिक्शा चलाया, कभी सब्जी बेचा, कभी समान की ढुलाई भी करी मजदूरी करी लेकिन फिर कुछ ऐसा हुआ जिसने इसको एक आम चंद्रकांत झा से एक खतरनाक serial killer chandrakant jha बना डाला।
आखिर कैसे चंद्रकांत झा बना serial killer :
असल मे किसी केस मे वो तिहाड़ जेल मे बंद था लेकिन वो मानता था की उसको फँसाया गया है साथ मे तिहाड़ जेल के अंदर ही एक हवलदार उसके साथ बहुत बदसुलूकी करता था ये सब के कारण ही वो बहुत गुस्से और नफरत से भर गया था और जेल से निकलने के बाद बदला लेने के लिए तिहाड़ जेल के सामने उन लाशों को फेकता था वो भी उसी हवलदार के गेट के सामने जिसने उसे तंग किया था।
साल 1998 :
साल 1998 में serial killer chandrakant jha ने अपना पहला मर्डर किया था दिल्ली का आदर्श नगर हमेशा की तरह शांत पड़ा हुआ था लोग अपने काम में व्यस्त थे ,इसी बीच एक खबर दौड़ती है एक लाश मिली है जिसका सर नहीं है बिल्कुल चंद्रकांत अपना पहला मर्डर कर चुका था उसने गुनाहों की शुरुआत कर दी थी लेकिन यह बात पुलिस को नहीं मालूम थी कि यह मर्डर चंद्रकांत ने किया है जो कई सालों बाद पता चली ।
इसके बाद से उसने एक के बाद एक हत्या करनी चालू रखी हत्या के लिए वह किसी भी व्यक्ति को चुनता था वह गांव से आए हुए लोग या बेरोजगार लोग को अपने साथ रखता था नौकरी दिलाने का बहाना ढूंढता था और छोटे-छोटे बातों पर थोड़ी सी बहस पर या कोई भी छोटी बात होने पर मार देता और उनका सिर धड़ से अलग कर कहीं और फेकता था।
मांसाहारी हो इसलिए मार दिया (Serial Killer Chandrakant Jha) :
ये भाईसाब अजीब आदमी थे जहां थोड़ी सी नोक झोंक हो जाए तो आदमी नाराज होता हैं लेकिन ये अलग था ये अगर नोक-झोंक हुई तो गला सिर से अलग होना तय है इस तरह का सनकी किलर हो चुका था ये serial killer chandrakant jha आपको एक-एक करके बताते हैं की ये किस किस आदमी को किस किस रीज़न से किस किस बात को लेकर मारा था।
- “शेखर बहुत शराब पीता था. झूठ बोलता था. मांसाहारी था इसलिए मैंने उसे मार दिया.”
जुलाई 2003 में अलीपुर में कॉलेज के पास से एक लाश मिली इसका सिर गायब था और यह मर्डर भी चंद्रकांत ने किया था और लाश थी बिहार के रहने वाले शेखर की जब चंद्रकांत पकड़ा गया उससे पूछा गया तब चंद्रकांत ने पुलिस को यह बताया कि उसने शेखर को सिर्फ इसलिए मारा था क्योंकि शेखर बहुत शराब पीता था झूठ बोलता था इसलिए मैंने उसे मार दिया।
- 2. “ये झूठ बोलता था और विश्वास के लायक नहीं था”
उसके कुछ 5 महीने बीतने के बाद ही नवंबर 2003 में एक जगह और लाश मिलती है वह भी तिहाड़ जेल की गेट संख्या एक के सामने प्लास्टिक के बैग में बंद एक लाश मिली उसमें भी सिर गायब था बाद में मालूम चला चंद्रकांत इस मर्डर के पीछे भी शामिल था और जिसको मारा वो था बिहार का उमेश उसको इसलिए मारा क्यूंकी “यह झूठ बोलता था और विश्वास के लायक नहीं था इसलिए मार दिया “
- 3. “पकड़ सको तो पकड़ लो तुम्हारा बाप”
serial killer chandrakant jha ने पकड़े जाने के बाद पुलिस को बताया था की वो सारे लोग लोग जो नैतिक रूप से गलत लगेंगे जैसे झूठ बोलने वाला, महिला बनाना, शराब पीने वाला , धूम्रपान करने वाला या मांसाहारी व्यक्ति उन्हे ही वो मारता या टारगेट करता था, इस सप्ताह के कुछ महीने बाद ही दोबारा से लाश मिलती है
जिसमें दिल्ली पुलिस को इस बार चिट्ठी भी चंद्रकांत ने लिखी थी और तिहाड़ के गेट नंबर 3 के पास इस बार लाश को बाकायदा फेंका था दिल्ली पुलिस कंट्रोल रूम को बाकायदा बढ़िया से कॉल करके बताया भी था मैंने इस जगह पर यह गेट के सामने लाश को फेंका है और एक चिट्ठी भी दिल्ली पुलिस के नाम की थी इसमें लिखा हुआ था “हिम्मत है तो मुझे पकड़ कर दिखाओ”, “पकड़ सको तो पकड़ लो तुम्हारा बाप”
पुलिस के सामने खड़ा था और पुलिस पहचान ही नहीं पाई :
पकड़े जाने के बाद वो बताता है की एक बार जब पुलिस से लाश पे बंधी हुई रस्सी नहीं खुल रही थी तब भीड़ मे मैं भी था और मैंने ही आगे आके वो रस्सी चाकू से आप सबके सामने काटी थी और उस लाश को फेक कर ही मैं वहाँ आप लोगों का इंतजार कर रहा था अब आप सोच सकते है किस तरीके का आदमी था ये।
क्या सजा मिली चंद्रकांत को ?
दिल्ली पुलिस ने चंद्रकांत के खिलाफ दो चार्जसीट दाखिल की गई पहली चार्जसीट अगस्त 2007 में दाखिल की गई इसमें चंद्रकांत पर 6 मर्डर के आरोप लगा था, जिसके 6 महीने बाद मार्च 2008 में दिल्ली पुलिस ने दूसरी चार्जसीट दाखिल की और चंद्रकांत पर सात कत्ल के आरोप लगाए लेकिन 2013 में कोर्ट ने चंद्रकांत को दोषी करार दिया और फांसी की सजा सुनाई साथ मे उम्र कैद की सजा एक साथ दी लेकिन बाद में फांसी की सजा को बदलकर उम्र कैद में कर दिया गया था यहां तक की समय-समय पर पैरोल पर भी छोड़ा जा चुका है।
इस बात से आप सोच सकते हैं की इतना खतरनाक गुनाह करने के बाद भी कोई व्यक्ति पैरोल पे बाहर आ सकता हैं घूम सकता हैं जहां ऐसे मामले मे जहां फांसी होनी चाहिए वहाँ कोई आदमी जीवन जी रहा है साथ मे लोगों के बीच घूम भी पा रहा हैं।
इस कहानी पर एक फिल्म भी बनी हुई हैं “Indian Predator The Butcher Of Delhi” जो की netflix पर उपलब्ध भी हैं।
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